बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

Kandla Port

कांडला ,कच्छ की खाड़ी में बसा एक छोटा सा प्राकृतिक बंदरगाह है.गांधीधाम छोड़े बाद मैंने  इसे कभी नहीं देखा इसलिए मेरी स्मृति में बना चित्र पचास साल पुराना है.पोर्ट पर उतरने वाला सामान गुड्स ट्रेन के माध्यम से गंतव्य तक पहुँचाया जाता था.अतः रेलवे के द्रष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण स्टेशन था.पापा मुझे कई बार अपने साथ ले जाते थे और पूरा बंदरगाह घुमा कर दिखाते थे.अमेरिका की दो कम्पनीयों से  पेट्रोल आयात किया जाता था.कॉलटेक्स व इस्सो.अमेरिका की दो स्टेट कैलिफ़ोर्निया और टेक्सास को मिला कर कॉलटेक्स बना था.इस्सो (esso) का मतलब था एवरी सैटरडे सन्डे ऑफ .बाद में पता चला यह फुल फॉर्म एक मजाक था. इन कंपनियों द्वारा मंगाया गया पेट्रोल यन्त्र चालित तरीके से आयल टैंकर जहाजों से बहुत बड़ी टंकियों में खाली किया जाता था.फिर इन टंकियों में से रेलवे के  आयल कंटेनर गुड्स ट्रेन में भरा जाता था.इन गुड्स ट्रेन के  आयल टैंकर्स का रख रखाव एक तकनिकी मुद्दा था जिसमें मेरे पापा को महारत हासिल थी.उन्होंने मुझे बताया था की पेट्रोल से भरा टैंकर बहुत खतरनाक होता है इसीलिए बोगी पर "हाइली इन्फ्लेमेब्ल " व "Not to be loose shunted" लिखा जाता था. खाली आयल टैंकर में  भी बहुत जोखिम है क्योंकि तेल की गैस अन्दर रह जाती है जिससे टैंकर एक बम की तरह हो जाता है,जो जरा से स्पार्क के संपर्क में आने से फूट सकता है. तेल कंपनियों को खाली टैंकर समय पर उपलब्ध करवाना मैनेजमेंट में आजकल सिखाई जा रही इन्वेंटरी कन्ट्रोल की तरह ही था.इसके अलावा खाद्य तेल भी आयात होता  था,जिसे  स्वचालित मशीनों से टिन के डिब्बों में भरा जाता था.यह सब मेरे लिए अत्यंत कौतुहल भरा था.इसके अलावा पोर्ट पर  काफी तादाद में गेहूं उतरता था .मुझे बताया गया की यह गेहूं अमेरिका से PL ४८० के तहत प्राप्त हुआ है .यह गेहूं अमेरिका में सूअरों की खिलाया जाता है. हिंदुस्तान में इसे भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से आयात करके राशन की दुकानों पर गरीबों के लिए सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाया जायेगा.बंदरगाह पर गेहूं की बोरियों को रखने के गौदाम बने हुए थे.कुछ समय तक गेहूं की बोरियों पर से कूदा फांदी का आनंद भी में जरुर लेता था.वहीँ मैंने पहली बार रेडार देखा था ,पापा ने मुझे अन्दर ले जाकर पूरी प्रणाली भी समझाई थी.बाद में मैंने भी अपने बच्चों को पर्यटन के साथ साथ शिक्षा देने का प्रयास किया.पानी के बड़े जहाज केई दिन तक बंदरगाह पर रुकते थे ,तब उसका क्रू गांधीधाम जाके बिसिट के मैदान में फुटबाल खेला करता था.पापा ने अनेक बड़े जहाज मुझे दिखाए थे ,हर तल्ले पर अलग व्यवस्थाएं होती है.कप्तान का केबिन बहुत खास होता था.मुझे बताया गया की कप्तान कभी जहाज नहीं छोड़ता अगर जहाज डूबता है तो वो भी उसके साथ डूबता है.उसके कमरे में एक हीरे की अगुन्ठी होती है जिसे चाट कर वह अपने प्राण दे देता है.हालाँकि वो हीरे की अगुन्ठी मैंने कभी नहीं देखी.

1 टिप्पणी:

  1. What you're saying is completely true. I know that everybody must say the same thing, but I just think that you put it in a way that everyone can understand. I'm sure you'll reach so many people with what you've got to say.

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