सोमवार, 7 सितंबर 2009

पालनपुर, मारवाड़ जंक्शन के अल्प विराम


पालनपुर गुजरात राज्य का हिस्सा है अतः वंहा की पढ़ाईलिखाई गुजराती भाषा में होती थी मेरे सभी बड़े भाई बहनों के अध्ययन का तारतम्य टूट गया ,सोभाग्य से उन दिनों चार साल के बच्चे को स्कूल भेजने का प्रचलन नहीं था अत: मुझे कोई कष्ट नही हुआ अलबत्ता बहुत दिनों तक अम्मा और छोटे भाई को याद करता रहा.
पालनपुर की जो प्रमुख घटना मुझे याद हैं उनमें घर के सामने का वो पेड़ है जिसके फल को हम बन्दर की रोटी कहते थे इस पेड़ का असली नाम मुझे बोटनी में M.Sc.करने के बाद भी ज्ञात नहीं है हालाँकि में उसे देख कर पहचान जरुर सकता हूँ.
इसके अलावा मुझे याद है की घर से कुछ दूर एक तालाबथा जहाँ हम मछलियों को चुगाने के लिए कभी चने और कभी गेहूं के आटे की गोलियां बना कर ले जाते.
पालनपुर में हमारे बंगले के सामने से एक गोरी मेम छाता लगाकर निकलती थी . वो लगभग ३० वर्ष की कोई एंग्लो इंडियन भद्र महिला थी .पता नहीं मुझे किसने सिखाया था पर उसे देखते ही मैं चिल्लाने लगता कि मुझे इससे शादी करनी है .वो भी कभी कभी मेरी तरफ देख कर मुस्करा देती थी .मैं उस समय चार साल का था.वह मुस्कान मुझे आज भी याद है .
पालनपुर में शिक्षा का माध्यम गुजराती होने कि वजह से प्रह्लाद भाई को आबू रोड अ़प-डाउन करना पड़ता था और श्याम व कमल भाई को अजमेर में ही एक कमरे के फ्लैट में रखा गया .
आखिर पापा ने मम्मी और हम बच्चों को मारवाड़ जंक्शन में रखने का निर्णय लिया.थाने के पास एक किराये के मकान में हम रहने लगे यह १९५९ की बात है. तब में पाँचवे वर्ष में प्रवेश कर चुका था. लगभग एक वर्ष हम यहाँ रहे.परिवार के बिखर जाने से सभी परेशान थे.पापा बच्चों कि पढाई को लेकर बहुत सचेत थे और उस काल खंड में सबसे बुरा प्रभाव शिक्षा पर ही पड़ रहा था.
मारवाड़ जंक्शन में हमारे पडोसी थे डेविड परिवार.बहुत सज्जन और मददगार परिवार था यह.उनके अहसानों का बदला तो नहीं चुकाया जा सकता पर थोडी बहुत मदद इस परिवार कि मैंने पाली मारवाड़ में मेरी फर्स्ट पोस्टिंग कोषाधिकारी पाली के समय कि थी .
दुनिया बहुत छोटी है.कुएँ से कुँआ नहीं मिलता पर आदमी से आदमी जरूर मिलता है.
उस समय मेरे मामाजी श्री गोपीकिशन नागौरी जो कि रेलवे में थे ,मारवाड़ में ही पोस्टेड थे और हमारे घर से कुछ दूर ही रेलवे के क्वाटर में रहते थे. मेरी शामें अक्सर वहीँ गुजरती और मामाजी के लड़के नंदू उर्फ़ नन्द किशोर बंसल तथा नवल किशोर बंसल मेरे अच्छे दोस्त बन गए.अब मामाजी नहीं रहे पर नंदू और नवल सोजत रोड में रहते हैं और आज भी मेरे अच्छे मित्र हैं. पता नहीं वो साल कब और कैसे गुजर गया.पापा का तबादला गांधीधाम हो गया.और एक बार फिर गांधीधाम में पूरा परिवार एक ही छत के नीचे आ गया.

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है आपने और काफी दिलचस्प भी! पढ़कर बहुत अच्छा लगा और मैं अपने बचपन के दिनों में चली गई!

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  2. मैं पहली बार आपके यहाँ आया हूँ और वापस जाने का मन नहीं कर रहा है. बिलकुल अपना-अपना सा लग रहा है. मैं एक रेलकर्मी पिता की सन्तान हूँ और बचपन का काफी समय रेलवे कालोनी में गुज़ारा है, आपको पढ़कर वो सारे दृश्य एक बार आँखों के सामने घूम गये. आपके लेखन में एक आकर्षण है पढ़ने वाले को जकड़ लेता है. मुझे अब बार-बार, लगातार आना पड़ेगा.

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  3. दिलचस्प स्मरण बांटने के लिए धन्यवाद

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  4. इस रोचक संस्मरण को पढकर सारी घटनाएं जीवंत सी आंखों के सामने से गुजर गयीं।
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  8. आपका स्वागत करती सुगना फाऊंडेशन-

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    आप सब से निवेदन है
    आप सभी भाई बंधुओ से निवेदन है की श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज जयंती कार्यक्रम में आप अधिक से अधिक संख्या में भाग ले ओर रैली को सफल बनावे

    * फाउंडेशन का कार्यक्रम स्थल *
    सुगना फाउंडेशन-मेघालासिया , जोधपुर
    राजाराम जी का मन्दिर के पास, कोहिनूर सिनिमा के आगे,
    पाचवी रोड, जोधपुर(राजस्थान)


    श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर जयंती पर आज निकलेगी भव्य शोभायात्रा
    or
    जयंती पर आज निकलेगी शोभायात्रा

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